बस हिस्सा सा बन कर रह गया हूं,
शहर में इस भीड़ का।
हमेशा डर सा बना रहता है,
खो जाने की अपनी पहचान का।
मलाल सा बना रहता है,
हमेशा दिल में,
तेरे सामने, व्यक्त नहीं कर पाने का
अपनी बात।
मैने कब कहा था?
कि सुने सब मेरी आरजू,
मुझे तो बस एक मीत चाहिये था।
जो जानता हो पता इस शहर में आपका।
जानता हूं, कोई नफा नहीं ।
इस नामुरादे जुनुन का ।
सब कहते हैं कि
गाड़ी कब की गुजर गयी है।
मै फिर भी तख्ती लिये,
स्टेशन में खड़ा हूं,
नाम लिखा है जिसमें आपका।
सच्चा इंतज़ार कभी तो पूरा होता ही है ... मन के जज्बातों को शब्द दिए हैं आपने ...
ReplyDeleteगाड़ी कब की गुजर गयी है।
ReplyDeleteमै फिर भी तख्ती लिये,
स्टेशन में खड़ा हूं,
नाम लिखा है जिसमें आपका।
Hari Bhai aaj pahli baar aapki rachna padh raha hoon...Kmaal ki rachna hai aapki...Badhai swiikaren
Neeraj
शहर में आ कर इंसान खो जाता है ... और आप मीत ढूँढ रहे हैं ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है ..अंतिम पंक्तियाँ कमाल की हैं ...
दीपावली की शुभकामनायें .
बहुत ही सुंदर .....प्रभावित करती बेहतरीन पंक्तियाँ ....
ReplyDeleteप्रकाश पर्व( दीपावली ) की आप तथा आप के परिजनों को मंगल कामनाएं.
ReplyDeleteसंजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
गजब...बेहतरीन...
ReplyDeleteदीप हम ऐसे जलायें
दिल में हम एक अलख जगायें..
आतंकवाद जड़ से मिटायें
भ्रष्टाचार को दूर भगायें
जन जन की खुशियाँ लौटायें
हम एक नव हिन्दुस्तान बनायें
आओ, अब की ऐसी दीवाली मनायें
पर्व पर यही हैं मेरी मंगलकामनायें....
-समीर लाल 'समीर'
http://udantashtari.blogspot.com
अच्छी प्रस्तुति ..
ReplyDelete.. आपको दीपोत्सव की शुभकामनाएं !!
स्टेशन में खड़ा हूं
ReplyDeletebeautiful poem
Happy Diwali
time passes but sometimes heart stays on that moment
i wish your wait ends with lots of happiness ....
ReplyDeletewish you a very happy dewali to you and your family ....
उमीद पर दुनिया कायम है। शुभकामनायें
ReplyDeletebahut sundar kavita hai..
ReplyDeleteकाफी सुन्दर शब्दों का प्रयोग किया है आपने अपनी कविताओ में सुन्दर अति सुन्दर
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