अपनी सारी खुशियंा बांट देना उन्हे,
जिन्हे तुम चाहो
मेरे लिये,
बस गमों को छोड़ देना ।
याचक बनकर आउंगा,
तुम्हारी दहलीज पर।
तुम अपने गमों से,
मेरी खुशियों की झोली भर देना।
मैं अपनी दुआओं में अपनी हंसी,
तुम्हे अर्पण कर दूंगा।
बस इतना सा उपकार कर देना ।
अपनी मांग में सिंदूर,तुम बेशक सजा लेना,
किसी और के नाम का
मुझे बस बिछुआ के नाम पर,
पैरों में जगह दे देना।
मैं तुम्हारी राह के कांटों को,
अपने सीने में सहन कर,
बस फूल-कलियां तुम्हे अर्पण कर दूंगा।
बस इतना सा उपकार कर देना ।
अपनी बहारों में शामिल कर लेना,
बेशक तुम किसी और को
मेरे लिये बस पतझड़ का मौसम छोड़ देना,
जब सारे फूल-पत्ते साथ छोड़ दें,
तब मुझे याद करना,
मैं आकर अपना बसंत तुम्हे अर्पण कर दूंगा।
बस इतना सा उपकार कर देना ।
जिन्हे तुम चाहो
मेरे लिये,
बस गमों को छोड़ देना ।
याचक बनकर आउंगा,
तुम्हारी दहलीज पर।
तुम अपने गमों से,
मेरी खुशियों की झोली भर देना।
मैं अपनी दुआओं में अपनी हंसी,
तुम्हे अर्पण कर दूंगा।
बस इतना सा उपकार कर देना ।
अपनी मांग में सिंदूर,तुम बेशक सजा लेना,
किसी और के नाम का
मुझे बस बिछुआ के नाम पर,
पैरों में जगह दे देना।
मैं तुम्हारी राह के कांटों को,
अपने सीने में सहन कर,
बस फूल-कलियां तुम्हे अर्पण कर दूंगा।
बस इतना सा उपकार कर देना ।
अपनी बहारों में शामिल कर लेना,
बेशक तुम किसी और को
मेरे लिये बस पतझड़ का मौसम छोड़ देना,
जब सारे फूल-पत्ते साथ छोड़ दें,
तब मुझे याद करना,
मैं आकर अपना बसंत तुम्हे अर्पण कर दूंगा।
बस इतना सा उपकार कर देना ।
अपन बहारें में शामिल कर लेना,
ReplyDeleteबेशक तुम किसी और को।
मेरे लिये बस पतझड़ का मौसम छोड़ देना,
जब सारे फूल-पत्ते साथ छोड़ दें,
तब मुझे याद करना।
मैं आकर अपना बसंत तुम्हे अर्पण कर दूंगा।
बस इतना सा उपकार कर देना ।
bahutt hee khoobsurat gazal hai hari bhai....
बेहद खूबसूरत गजल है सर!
ReplyDelete------
कल 12/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
एक निवेदन
ReplyDeleteकृपया निम्नानुसार कमेंट बॉक्स मे से वर्ड वैरिफिकेशन को हटा लें।
Login-Dashboard-settings-comments-show word verification (NO)
अधिक जानकारी के लिए कृपया निम्न वीडियो देखें-
http://www.youtube.com/watch?v=L0nCfXRY5dk
बहुत अच्छी रचना है आपकी...मेरी बधाई स्वीकारें...
ReplyDeleteनीरज
खूबसूरत भाव से सजी अच्छी रचना ...
ReplyDeleteआपकी मेल से आपके ब्लॉग पर आया हूँ.
ReplyDeleteअच्छा लगा आपकी भावपूर्ण प्रस्तुति पढकर.
खुबसुरत समर्पण के भाव मन को छूते हैं.
सुन्दर प्रस्तुति नके लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
इतना सा नहीं बहुत बडा काम है ये तो
ReplyDeleteवर्ड वेरीफ़िकेशन हटा दो, उसकी जगह माडरेशन लगा दो,
अपन बहारें में शामिल कर लेना,
ReplyDeleteबेशक तुम किसी और को।
मेरे लिये बस पतझड़ का मौसम छोड़ देना,
जब सारे फूल-पत्ते साथ छोड़ दें,
तब मुझे याद करना।
मैं आकर अपना बसंत तुम्हे अर्पण कर दूंगा।
बस इतना सा उपकार कर देना ।
सुन्दर भावों को समेटे एक खूबसूरत रचना |
शब्द पुष्टिकरण हटा दें तो टिप्पणी करने में आसानी होगी ..धन्यवाद
ReplyDeleteवर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो NO करें ..सेव करें ..बस हो गया
bahut pyari si gajal hai....maine follow bhi kiya!
ReplyDeletekabhi hamare blog pe aana!
वाह ...बहुत अच्छा लिखा है ... ।
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना है आपकी..
ReplyDeleteatal ji , very beautifully you expressed the true love.
ReplyDeletereally true love is name of giving happiniess to our dear ones without expectation..
very hraet touching lyrics..
तुम अपने गमों से,
ReplyDeleteमेरी खुशियों की झोली भर देना।
बहुत सुन्दर भाव....
सुन्दर कविता.... सादर बधाई....
bahut sundar...
ReplyDeletemere blog pe aapka swagat hai...
meri-mahfil.blogspot.com
mymaahi.blogspot.com
समर्पण की सीमाओं को छूती ... लाजवाब अभिव्यक्ति है ...
ReplyDeleteदीवाली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ|
ReplyDeleteAapko aur apke parivar ko diwali ki subhkamnye
ReplyDelete:- Hari Attal